Pandra Se Satrah Ke Beech Wala Saal

Sameer

हो हो फूलो ने कहां नजरों ने कहां
सावन में नचते पुहरो ने कहां ओ ओ
बादलो की उठाती कटारो ने कहा
नदिया की लहरों से किनारो ने कहा
सपनों में आके सच रब ने कहानी
सब ने कहां ये है सबने कहां हो
हो बड़ा ही अनोखा है बड़ा ही कमाल है
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
बड़ा ही अनोखा है बड़ा ही कमाल है
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
बड़ा ही अनोखा है बड़ा हाय

आंखों में भरे हैं आज भी
मीठे मीठे सपने
कुछ हैं शुरू हुए और कुछ मेरे अपने
आंखों में भरे हैं आज भी
मीठे मीठे सपने
कुछ हैं शुरू हुए और कुछ मेरे अपने
चुड़ियो से गीत बाजे पायल से ताल है
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
बड़ा ही अनोखा है बड़ा हाय

अचल में बसंत हैं झोली में बहार
फूल फूल काली काली करें मुझे प्यार
अचल में बसंत हैं झोली में बहार
फूल फूल काली काली करें मुझे प्यार
जी चाहतें कोई आके पुछे मेरा हाल है
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
बड़ा ही अनोखा है बड़ा हाय

अंग अंग मेरा अब टूट टूट जाए
शेषा भी देखो तो मुझे सरम आए
अंग अंग मेरा अब टूट टूट जाए
शेषा भी देखो तो मुझे सरम आए
बादल हैं रंग मेरे बादली हैं चल है
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
हो बड़ा ही अनोखा है बड़ा ही कमाल है
पंद्रा से सत्र के बीच साल होय
पन्द्रा से सतरा के बीच साल हो हो हो

Wissenswertes über das Lied Pandra Se Satrah Ke Beech Wala Saal von Anuradha Paudwal

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Das Lied “Pandra Se Satrah Ke Beech Wala Saal” von Anuradha Paudwal wurde von Sameer komponiert.

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