Bhari Mehfil

Kunaal Vermaa

तेरे बिन जीने का मन तो नहीं है
हमारे पास दूजा रास्ता नहीं
शिकायत है मगर करते नहीं हम
दुखाते दिल किसी का खामखा नहीं
पता है जब नहीं मुजरिम मैं तेरा
तुझे भी इल्म है के तू खुदा नहीं
भरी महफ़िल में हम है मुस्कुराये
भरी महफ़िल में हम है मुस्कुराये
वहाँ रोये जहाँ कोई देखता नहीं
भरी महफ़िल में मुस्कुराये
वहाँ रोये जहाँ कोई देखता नहीं

मेरी बाहों से निकले तो
नया हमदम बना बैठे
मेरे दिल को तबाह करके किसी का
घर सजा बैठे
बड़ी कातिल अदाएं यार की है
बताया जान लेकर खुदखुशी है
मुकद्दर क़तल की है जब सजायें
दिलों के क़ातिलों को क्यों सज़ा नहीं
भरी महफ़िल में हम है मुस्कुराये
भरी महफ़िल में हम है मुस्कुराये
वहाँ रोये जहाँ कोई देखता नहीं
भरी महफ़िल में मुस्कुराये
वहाँ रोये जहाँ कोई देखता नहीं
जब जब आईने से नज़रें मिलाओगे तो
खुद में दिखेगा तुम्हे इक बेवफा
मेरा अन्जाम है तेरी शुरुआत है
मैं तो हो चूका हूँ तुझे होना बर्बाद है
चलो हम माफ़ कर देते हैं तुमको
मिलेगा बद्दुआ में वो मज़ा नहीं
भरी महफ़िल में हम है मुस्कुराये
भरी महफ़िल में हम है मुस्कुराये
वहाँ रोये जहाँ कोई देखता नहीं
भरी महफ़िल में मुस्कुराये
वहाँ रोये जहाँ कोई देखता नहीं

Wissenswertes über das Lied Bhari Mehfil von Babbu Maan

Wer hat das Lied “Bhari Mehfil” von Babbu Maan komponiert?
Das Lied “Bhari Mehfil” von Babbu Maan wurde von Kunaal Vermaa komponiert.

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