Na Jane Kab

IFTEKHAR NASEEM, RAFIQUE HUSAIN

ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना
ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना
गये हुओ के लिए दिल में
कुच्छ जगह रखना
ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना

हज़ार टॉक हो यादे
मगर वो जब भी मिले
हज़ार टॉक हो यादे
मगर वो जब भी मिले
ज़ुबान पे अच्च्चे दीनो का ही
जायाका रखना
ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना

ना होके कुर्ब ही फिर
मार्ज रब्त बन जाए
ना होके कुर्ब ही फिर
मार्ज रब्त बन जाए
मिले अगर तो ज़रा
उससे फासला रखना
ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना

उतार फैंक दे कुश
फ़हमियो के सारे गिलाफ
उतार फैंक दे कुश
फ़हमियो के सारे गिलाफ
जो शाकस भूल गया
उसको याद क्या रखना
ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना
गये हुओ के लिए दिल में
कुच्छ जगह रखना
ना जाने कब वो पलट आए
दर खुला रखना

Wissenswertes über das Lied Na Jane Kab von Ghulam Ali

Wann wurde das Lied “Na Jane Kab” von Ghulam Ali veröffentlicht?
Das Lied Na Jane Kab wurde im Jahr 2006, auf dem Album “Saadgee” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Na Jane Kab” von Ghulam Ali komponiert?
Das Lied “Na Jane Kab” von Ghulam Ali wurde von IFTEKHAR NASEEM, RAFIQUE HUSAIN komponiert.

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