Kaisi Hoon Main

Ravindra Jain

लोग कहें मेरा
सांवला सा रंग है
फूल समां खिला
खिला अंग अंग है
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे

रखू कदम नाप नाप के
डर डर के फूँक फाक के
रखू कदम नाप नाप के
डर डर के फूँक फाक के
खुलके हंसू रोऊ मुह
धाप धाप के
लोग कहे मै तो काली हुँ अनार की
शक्ल मगर मैंने
देखि न बहार की
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे

कटते है दिन रैन रैन मैं
कजरा खुला मेरे नैन में
कटते है दिन रैन रैन मैं
कजरा खुला मेरे नैन में
में खुश रहो सबके
सुख चैन में
लोग कहे मुजमे
चंदा की झलक है
जिक्क्र मेरा बड़ी दूर तलक है
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे
लोग कहे मेरा सांवला सा रंग है
फूल समां खिला
खिला अंग अंग है
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे
कैसी हू मै गुंगा दर्पण
कुछ भी न बोले रे

Wissenswertes über das Lied Kaisi Hoon Main von Hemlata

Wer hat das Lied “Kaisi Hoon Main” von Hemlata komponiert?
Das Lied “Kaisi Hoon Main” von Hemlata wurde von Ravindra Jain komponiert.

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