Ye Raaste
Ishaan Nigam
ये रास्ते..पर तू चले
खाब नये..बुनते हुए
नगर नगर डगर डगर यून तो
बहता चला
सपने हज़ारों..संग अपने
तय करता चला
नगर नगर डगर डगर यून तो
बहता चला
सपने हज़ारों..संग अपने
तय करता चला
ये रास्ते..पर तू चले
खाब नये..बुनते हुए (ए ए ए ए)
हसी तेरी..जो चेहरे पे है
उसको ले चला
यक़ीन तेरी...जो आँखों मे है
बरसों था सदा
ओ बावरे..उन् खवाबों को
जी ले तू यहाँ
नही है कुछ..इन राहों से
और खवाबों से परे
ये रास्ते..पर तू चले
खाब नये..बनते हुए (एए हम्म्म)