Hero

Palaash Muchhal

तू ज़िंदा है तू ज़िन्दगी की
जीत में यक़ीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो
उतार ला ज़मीन पर
तू ज़िंदा है तू ज़िन्दगी की
जीत में यक़ीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो
उतार ला ज़मीन पर
ग़मों के और चार दिन
सितम के और चार दिन
गुज़र भी जायेंगे ये दिन
गुज़र गए हज़ार दिन
हीरो
हीरो
बनेगा कल तेरा है कल
हीरो
बनेगा कल बनेगा कल
हीरो
है तेरा कल है तेरा कल

हमारे कारवां को
मंज़िलों का इंतज़ार है
ये आँधियों ये बिजलियों
की पीठ पर सवार है
हाँ हमारे कारवां को
मंज़िलों का इंतज़ार है
ये आँधियों ये बिजलियों
की पीठ पर सवार है
तू आ कदम मिला के चल
चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो
उतार ला ज़मीन पर
हीरो
हीरो (हीरो)
है तेरा कल है तेरा कल
हीरो
बनेगा कल बनेगा कल
हीरो (ओ )

Wissenswertes über das Lied Hero von Jubin Nautiyal

Wer hat das Lied “Hero” von Jubin Nautiyal komponiert?
Das Lied “Hero” von Jubin Nautiyal wurde von Palaash Muchhal komponiert.

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