Samandar

Arafat Mehmood

तू हीर मेरी तू जिस्म मेरा
मैं रांझा हूँ लिबास तेरा
तू हीर मेरी तू जिस्म मेरा
मैं रांझा हूँ लिबास तेरा
हो यूँ क़रीब तू
छू लून मैं तेरी रूह
बिन तेरे मैं हूँ बे निशान
समंदर मैं किनारा तू
जो बिखरू मैं सहारा तू
समंदर मैं (समंदर मैं)
किनारा तू (किनारा तू)
जो बिखरू मैं (जो बिखरू मैं)
सहारा तू (सहारा तू)

पहले थी बेवजह
फिर आके तू मिला
ख्वाबों को ज़िंदा कर दिया
अपने वजूद का हिस्सा बना दिया
क़तरे को दरिया कर दिया
शिरीन है तू तू मेरी ज़ुबान
फ़रहाद हूँ मैं अल्फ़ाज़ तेरा
आ यूँ क़रीब तू
छू लू मैं तेरी रूह
बिन तेरे मैं हूँ बे निशान
समंदर मैं किनारा तू
जो बिखरू मैं सहारा तू
समंदर मैं (समंदर मैं)
किनारा तू (किनारा तू)
जो बिखरू मैं (जो बिखरू मैं)
सहारा तू (सहारा तू)

सेहरा की धूल थी
तूने क़ुबूल की
मैं आसमानी हो गयी
जागू ना उम्र भर
जो मेरे हमसफर
बाहों में तेरी सो गयी
तू लैला है निगाह मेरी
मैं मजनू हूँ तलाश तेरी
हो यूँ क़रीब तू
छू लून मैं तेरी रूह
बिन तेरे मैं हूँ बे निशान
समंदर मैं किनारा तू
जो बिखरू मैं सहारा तू
समंदर मैं (समंदर मैं)
किनारा तू (किनारा तू)
जो बिखरू मैं (जो बिखरू मैं)
सहारा तू (सहारा तू)

Wissenswertes über das Lied Samandar von Jubin Nautiyal

Wer hat das Lied “Samandar” von Jubin Nautiyal komponiert?
Das Lied “Samandar” von Jubin Nautiyal wurde von Arafat Mehmood komponiert.

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