Yeh Chehra
Kamal Khan
मैं हूँ कैसी तुझ जैसी
ये मेरी हँसी तुझ जैसी
मेरे आँसू की बूंदे
ये भी बहीं तुझ जैसी
बस बदल गया जो
वो है ये चेहरा, ये चेहरा
ये चेहरा हाय ये चेहरा
मैं अपने सपनों
अपनी ही दुनिया को
सजाती सवारती थी
लिख लेती थी
ख्वाब जो अपने
मन में जो लाती थी
उन पन्नों से मन
उठ गया है मेरा
बस बदल गया जो
वो है ये चेहरा, ये चेहरा
ये चेहरा, ये चेहरा ये चेहरा घर की थी रानी मैं
थी पढने मैं जाती
उन नज़रों में आ गयी
किस को बताती
नहीं पहनेगा अब मेरे
लिए कोई सेहरा
बस बदल गया जो
वो है ये चेहरा, ये चेहरा ये चेहरा, ये चेहरा ये चेहरा