Ae Jaane Jigar Ghut Ghut Ke Agar

Anand Bakshi

हम्म्म हम्म्म हम्म्म हम्म्म हम्म्म
हम्म्म हम्म्म हम्म्म हम्म्म हम्म्म

ऐ जान ए जिगर घुट घुट के अगर
रातें हो बसर क्या होगा ज़रा सोचो

वो पीले अगर दुनिया की नज़र
उठ जाए इधर क्या होगा ज़रा सोचो

ऐ जान ए जिगर हो हो

जब फूल सा मुखड़ा सामने हो
तो प्यार भी करना पड़ता है

फूलों की तमन्ना में लेकिन
काँटों पे गुज़रना पड़ता है

अच्छा
हाँ जी

हो हो हो हो हो हो हो हो
काँटों से अगर भंवरा बनकर
हम जाए गुज़र क्या होगा जरा सोचो

ऐसे में अगर दुनिया की नज़र
उठ जाए इधर क्या होगा जरा सोचो
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

झुक झुक के नज़र क्यों उठती है
सीने में धड़कता है क्यों दिल

दो दिल की डगर जब मिलती है
आती है मोहब्बत की मंज़िल

अच्छा
हाँ जी

ह ह ह ह ह ह
दो दिल की डगर आगे चलकर
बँट जाए अगर क्या होगा जरा सोचो

ऐ जान ए जिगर घुट घुट के अगर
रातें हो बसर क्या होगा ज़रा सोचो

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

सुनते है जहाँ में लोगों को
दो दिल का मिलन मंज़ूर नहीं

मिलने का कोई वादा कर लो
लोगों की नज़र से दूर कहीं

अच्छा
हाँ जी
ह ह ह ह ह ह

Wissenswertes über das Lied Ae Jaane Jigar Ghut Ghut Ke Agar von Kishore Kumar

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Das Lied “Ae Jaane Jigar Ghut Ghut Ke Agar” von Kishore Kumar wurde von Anand Bakshi komponiert.

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