Apne Hothon Ki Bansi

Rajendra Krishna

ओ अपने होंठों की
अपने होंठों की बंसी बनाले मुझे
मेरी साँसों में तेरी साँस घुल जाए
आरज़ू तो हमारी भी है ये मगर
डर है मौसम कहीं ना बदल जाए
अपने होंठों की बंसी बनाले मुझे
मेरी साँसों में तेरी साँस घुल जाए

देखा तुझे चढ़ा ये कैसा नशा
चली ये कैसी हवा भुले हम घर का पता हो हो
देखा तुझे चढ़ा ये कैसा नशा
चली ये कैसी हवा भुले हम घर का पता
अब तो नहीं हमसे होना जुदा
अपनी बाहों का घूँघट उढ़ा दे मुझे
प्यार की ये ना डोली निकल जाए
आरज़ू तो हमारी भी है ये मगर
डर है मौसम कहीं ना बदल जाए

हो हो हो
ये तो बता कहाँ रखूँ ये कमल
ज़िंदगानी है मेरी रेत का एक महल हो हो
ये तो बता कहाँ रखूँ ये कमल
ज़िंदगानी है मेरी रेत का एक महल
याद जैसे हो कोइ आती गज़ल
अपनी रातों का दीपक बनाले मुझे
ये सुलगती हुई शाम जल जाए
अपने होंठों की बंसी बनाले मुझे
मेरी साँसों में तेरी साँस घुल जाए

पास तो आ ये दिन मर जाने का है
हो ये दिन कुछ खोने का है
ये दिन कुछ पाने का है हो
पास तो आ ये दिन मर जाने का है
ये दिन कुछ खोने का है
ये दिन कुछ पाने का है
मौसम ये रूठने मनाने का है
अपने दामन की खुशबू बनाले मुझे
दिल के सूने में कोइ फूल खिल जाए
आरज़ू तो हमारी भी है ये मगर
डर है मौसम कहीं ना बदल जाए
अपने होंठों की बंसी बनाले मुझे
मेरी साँसों में तेरी साँस घुल जाए

Wissenswertes über das Lied Apne Hothon Ki Bansi von Kishore Kumar

Wer hat das Lied “Apne Hothon Ki Bansi” von Kishore Kumar komponiert?
Das Lied “Apne Hothon Ki Bansi” von Kishore Kumar wurde von Rajendra Krishna komponiert.

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