Do Panchhi Do Tinke

M G Hashmat, Ravindra Jain

दो पंछी दो तिनके कहो
ले के चले है कहा हो
दो पंछी दो तिनके कहो
ले के चले है कहा

ये बनाएँगे एक आशिया
ये बनाएँगे एक आशिया
दो पंछी दो तिनके कहो
ले के चले है कहा

ये बनाएँगे एक आशिया
ये बनाएँगे एक आशिया

ये तो अपनी ही धुन में गाए
ऊँचे ऊँचे उड़ती जाए

इनकी मस्ती को और बढ़ाये
सावन की ये हवाएं

मंज़िल के मतवाले देखो
छूने चले आसमान हो

मंज़िल के मतवाले देखो (हो हो हो)
छूने चले आसमान (हो हो हो)
ये बनाएँगे एक आशिया (ये बनाएँगे एक आशिया)
ये बनाएँगे एक आशिया (ये बनाएँगे एक आशिया)

एक फूलों भरी हो डाली
और उस पर हो बसेरा

कुछ ऐसा ही मीठा मीठा
हैं सपना तेरा मेरा

ये सपना सच होगा
कह रही धड़कनो की जुबां

हो ये सपना सच होगा (हो हो हो)
कह रही धड़कनो की जुबां (हो हो हो)
हम बनाएंगे एक आशिया (हम बनाएंगे एक आशिया)
हम बनाएंगे एक आशिया (हम बनाएंगे एक आशिया)

हम बनाएंगे एक आशिया (हम बनाएंगे एक आशिया)
हम बनाएंगे एक आशिया (हम बनाएंगे एक आशिया)
हम बनाएंगे एक आशिया (हम बनाएंगे एक आशिया)

Wissenswertes über das Lied Do Panchhi Do Tinke von Kishore Kumar

Wer hat das Lied “Do Panchhi Do Tinke” von Kishore Kumar komponiert?
Das Lied “Do Panchhi Do Tinke” von Kishore Kumar wurde von M G Hashmat, Ravindra Jain komponiert.

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