Hash De Ik Kash-Kishore Kumar
हैश दे एक कश के मैं दूर चला जाऊं
घूमते घूमते मैं कही खो जाओ
हैश दे एक कश के मैं दूर चला जाऊं
घूमते घूमते मैं कही खो जाओ
अब तो रात भी लगने लगी सुबह
सुबह पूछती है मेरे जीने की वजह
हैश दे एक कश के मैं दूर चला जाऊं
घूमते घूमते मैं कही खो जाओ
आ आ आ आ
कहेना मुझको है मैं तुझ से सुनो था
मेरे मालिक तू मुझको ले उठा
हैश दे एक कश के मैं दूर चला जाऊं
घूमते घूमते मैं कही खो जाओ
हैश दे एक कश के मैं दूर चला जाऊं
घूमते घूमते मैं कही खो जाओ