Kitne Atal Thay
कितने अटल थे तेरे इरादे
याद तो कर तू वफ़ा के वादे
तूने कहा था खाकर कस्में
सदा निभाएंगे प्यार की रस्में
तू औरों की क्यों हो गयी
तू हमारी थी जान से प्यारी थी
तेरे लिए मैंने ने
दुनिया सँवारी थी
तू औरों की क्यों हो गयी
क्या ये तेरे सुख के साधन
मेरी याद को भुला सकेंगे
मेरी याद जब नींद उड़ा देगी
क्या ये तुज को सुला सकेंगे हो
क्या ये तुज को सुला सकेंगे
साधन में सुख होता नहीं हैं
सुख जीवन की एक कला हैं
मुझ से ही छल किया ना तूने
अपने को तूने आप छला हैं
तू औरों की क्यों हो गयी
तू हमारी थी जान से प्यारी थी(जान से प्यारी थी)
तेरे लिए मैंने ने(तेरे लिए मैंने ने)
दुनिया सँवारी थी(दुनिया सँवारी थी)
तू औरों की क्यों हो गयी(तू औरों की क्यों हो गयी)
तेरे लिए मैं लाया बहारें
तेरे लिए मैं जान पे खेला
दो दिन तूने ही राह ना देखि
छोड़ के चल दी मुझे अकेला हो
छोड़ के चल दी मुझे अकेला
तेरी जुदाई मेरी चिता हैं गम की
चिता में मैं जल रहा हूँ
मन मेरा डहके मरघट जैसा
अंगारों पे मैं चल रहा हूँ
तू औरों की क्यों हो गयी