Mere Naseeb Mein Aye Dost
ख़िज़ाँ के फूल पे आती कभी बहार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं
ख़िज़ाँ के फूल पे आती कभी बहार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं
ना जाने प्यार में कब मैं ज़ुबाँ से फिर जाऊँ
मैं बनके आँसू ख़ुद अपनी नज़र से गिर जाऊँ
तेरी क़सम है, मेरा कोई ऐतबार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं
मैं रोज़ लब पे नई एक आह तकता हूँ
मैं रोज़ एक नए ग़म की राह तकता हूँ
किसी ख़ुशी का मेरे दिल को इंतज़ार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं
ग़रीब कैसे मोहब्बत करे अमीरों से?
बिछड़ गए हैं कई राँझे अपनी हीरों से
किसी को अपने मुक़द्दर पे इख़्तियार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं
ख़िज़ाँ के फूल पे आती कभी बहार नहीं
मेरे नसीब में, ऐ दोस्त, तेरा प्यार नहीं