Tum Bin Jaun Kahan [Sad]
Majrooh Sultanpuri, R D Burman, MAJROOH SULTANPURI
तुम बिन जाऊँ कहाँ के दुनिया में आ के
कुछ ना फिर चाहा कभी तुम को चाह के
तुम बिन
रह भी सकोगे तुम कैसे
हो के मुझ से जुदा
हट जायेगी दीवारे
सुन के मेरी सदा
आना होगा तुम्हे मेरे लिए साथी मेरी
सूनी राह के
तुम बिन