Aayi Abke Saal Diwali

Azmi Kaifi, Madan Mohan

आई अब की साल दीवाली
मुँह पर अपने खून मले
आई अब की साल दीवाली
चारो तरफ है घोर अंधेरा
घर मे कैसे दीप जले
आई अब की साल दीवाली

बालक तरसे फुलझड़ियो
को दीपो को दीवारे
दीपो को दीवारे
माँ की गोदी सुनी सुनी
आँगन कैसे सवारे
आँगन कैसे सवारे
राह मे उनकी जाओ उजालो
बन मे जिनकी शाम ढले
आई अब की साल दीवाली

जिनके दम से जगमग
जगमग करती थी ये राते
करती थी ये राते
चोरी चोरी हो जाती थी
मन से मन की बाते
मन से मन की बाते
छोड़ चले वो घर मे
अमावस ज्योति लेकर साथ चले
आई अब की साल दीवाली

टप टप टप टप टपके
ये आँसू छलके खाली थाली
छलके खाली थाली
जाने क्या क्या समझाती
है आँखो की ये लाली
आँखो की ये लाली
शोर मचा है आग लगी
है कटते है पर्वत पे गले
आई अब की साल दीवाली
मुँह पर अपने खून मले
चारो तरफ है घोर अंधेरा
घर मे कैसे दीप जले
आई अब की साल दीवाली

Wissenswertes über das Lied Aayi Abke Saal Diwali von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Aayi Abke Saal Diwali” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Aayi Abke Saal Diwali” von Lata Mangeshkar wurde von Azmi Kaifi, Madan Mohan komponiert.

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