Ae Mast Hawa Yeh To Bata
ऐ मस्त हवा ये तो बतला
किस वक़्त यहाँ क्या बात हुई
में क्या जानू मैं क्या समझूँ
कब दिन धुबा कब रात हुई
ऐ मस्त हवा ये तो बतला
बेदर्द ज़माने में दिल में
ये दर्द न छोड़ दिया होता
उस ज्योत बुझाने वाले ने
दीपक भी तोड़ दिया होता
जीना मुश्किल मरना मुश्किल
वो बात हमारे साथ हुई
ऐ मस्त हवा ये तो बतला
मालूम नहीं तब रूत बदली
कब फूल खिले कब मुरझाये
सीने में जब जब आग लगी
मैंने समजा बादल छाए
आँखों से आँशु बरसे तो
हमनें जाना बरसात हुई
ऐ मस्त हवा ये तो बतला
किस वक़्त यहाँ क्या बात हुई
में क्या जानू मैं क्या समझूँ
कब दिन धुबा कब रात हुई