Bahot Mar Mar Ke Jine Se
भरा चमन था वो भी था एक जमाना
वो जो सामने नज़र के जलता है आसियाना
जलता है जलता है
बहुत मर मर के जीने से
मिटा देते तो अच्छा था
मोहब्बत की ना इतनी तुम
सज़ा देते हो अच्छा होरा
बहुत मर मर के जीने से
घड़ी भर मुस्कुरके
उमर भर को अब तो रोना है
नज़र मिलते ही अगर मुझको
रुला देते तो अच्छा था
बहुत मर मर के जीने से
मोहब्बत के चरागो को
बुझाना था बुझा देते
मगर दिल की लगी को भी
बुझा देते हो अच्छा था
बहुत मर मर के जीने से