Bane Ho Ek Khak Se To

Majrooh Sultanpuri, Roshan

आ आ आ आ आ
बने हो एक ख़ाक से तो
दूर क्या क़रीब क्या
बने हो एक ख़ाक से तो
दूर क्या क़रीब क्या
बने हो एक ख़ाक से तो
दूर क्या क़रीब क्या
लहू का रंग एक
है अमीर क्या गरीब
क्या बाणे हो एक ख़ाक से

वही हे जान वो ही तन
कहाँ तलक छुपाओगे
वही हे जान वो ही तन
कहाँ तलक छुपाओगे
पहन के रेशमी लीबाज़
तुम बदल न जाओगे
के एक जात है सभी
के एक जात है सभी
तो बात है अजीब तो
लहू का रंग एक है
अमीर क्या गरीब क्या
बने हो एक ख़ाक से

ग़रीब है वो इसलियेके
तुम अमीर हो गए
के एक बादशाह हुआ
तो सौ फ़क़ीर हो गए
ग़रीब है वो इसलियेके
तुम अमीर हो गए
के एक बादशाह हुआ
तो सौ फ़क़ीर हो गए
खता ये है समाज की
खता ये है समाज की
भला बुरा नसीब क्या
लहू का रंग एक है
अमीर क्या गरीब क्या
बने हो एक ख़ाक से

जो एक हो तो क्यों ना फिर
दिलों का दर्द बांट लो
जो एक हो तो क्यों ना फिर
दिलों का दर्द बांट लो
लहू की प्यास बाँट लो
रुको की दर्द बांट लो
लगा लो सबको तुम गले
लगा लो सबको तुम गले
हबीब क्या रक़ीब क्या
लहू का रंग एक है
अमीर क्या गरीब क्या
बने हो एक ख़ाक से

Wissenswertes über das Lied Bane Ho Ek Khak Se To von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Bane Ho Ek Khak Se To” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Bane Ho Ek Khak Se To” von Lata Mangeshkar wurde von Majrooh Sultanpuri, Roshan komponiert.

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