Der Andhera Hua Mast Savera Hua

Hasrat Jaipuri

दूर अँधेरा हुआ, मस्त सवेरा हुआ
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे
धूप ख़ुशी की छाई, जान गले में आई
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे

डोले रे अंग-अंग, मस्ती की ताल पर
झूले पतंग जैसे, चुटकी की ताल पर
लहराऊँ-बलखाऊँ जैसे बदरिया
मैं नाचूँ रे,आज मैं गाऊँ रे
दूर अँधेरा हुआ

देखो जी देखो गोरी, नाचे छमा छम
जल की मछरिया तो, कूदे धमा धम
फूल बजाए, मंजीरे छना छन
बाजे जी दिल की ढोलक, धना धन
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे
दूर अँधेरा हुआ मस्त सवेरा हुआ
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे

ऊँचे-ऊँचे अंबुआ के झूले पे झूलूँ
फूलों की बात क्या तारों को छू लूँ
शरमा के ओढूँगी, बादल चुनरिया
शरमा के ओढूँगी, बादल चुनरिया
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे
दूर अँधेरा हुआ
मस्त सवेरा हुआ
मैं नाचूँ रे,आज मैं गाऊँ रे

छेड़े पवन भी अपनी सितार को
मौजें नशे की आई बहार को
घूमे रे, झूमे रे सारी नगरिया
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे
दूर अँधेरा हुआ मस्त सवेरा हुआ
मैं नाचूँ रे, आज मैं गाऊँ रे

Wissenswertes über das Lied Der Andhera Hua Mast Savera Hua von Lata Mangeshkar

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Das Lied “Der Andhera Hua Mast Savera Hua” von Lata Mangeshkar wurde von Hasrat Jaipuri komponiert.

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