Do Din Ke Liye Mehman Yaha

Hasrat Jaipuri, Shailendra

हे दो दिन के लिए मेहमान यह, मालुम नहीं मंजिल है कहा
अरमान भरा दिल तो है मगर जो दिल से मिले वो दिल है कहा

एक फूल जला एक फूल खिला, कुछ अपना लुटा कुछ उनको मिला
एक फूल जला एक फूल खिला, कुछ अपना लुटा कुछ उनको मिला
कैसे करें किस्मत से गिला हम कैसे करें किस्मत से गिला
रंगिन हर एक महफिल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यह, मालुम नहीं मंजिल है कहा

दुनिया में सवेरा होने लगा, इस दिल में अंधा होने लगा
हर जहर के रोने लगा, हर जहर के रोने लगा
किस मुंह से कहे कातिल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यह, मालुम नहीं मंजिल है कहा

जलता है जिगर उठा है धूप, आंखों से मेरी आंसू है रवा
जलता है जिगर उठा है धूप, आंखों से मेरी आंसू है रवा
मरने से हो जाए दफा जो मरने से हो जाए दफा
ऐसी ये मेरी मुश्किल है कहा
दो दिन के लिए मेहमान यह, मालुम नहीं मंजिल है कहा
दो दिन के लिए

Wissenswertes über das Lied Do Din Ke Liye Mehman Yaha von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Do Din Ke Liye Mehman Yaha” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Do Din Ke Liye Mehman Yaha” von Lata Mangeshkar wurde von Hasrat Jaipuri, Shailendra komponiert.

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