Do Din Ke Liye Mehman Yahan

SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan

ओ ओ ओ
दो दिन के लिये महमान यहाँ
मालूम नहीं मंज़िल है कहाँ
अरमान भरा दिल तो है मगर
जो दिल से मिले वो दिल है कहाँ

एक फूल जला एक फूल खिला
कुछ अपना लुटा कुछ उनको मिला
एक फूल जला एक फूल खिला
कुछ अपना लुटा कुछ उनको मिला
कैसे करें क़िसमत से गिला
हम कैसे करें क़िसमत से गिला
रंगीन हर एक महफ़िल है कहाँ
दो दिन के लिये महमान यहाँ
मालूम नहीं मंज़िल है कहाँ

दुनिया में सवेरा होने लगा
दुनिया में सवेरा होने लगा
इस दिल में अंधेरा होने लगा
हर ज़ख्म सिसक के रोने लगा
हर ज़ख्म सिसक के रोने लगा
किस मुँह से कहे क़ातिल है कहाँ
दो दिन के लिये महमान यहाँ
मालूम नहीं मंज़िल है कहाँ

जलता है जिगर उठता है धुआँ
आँखों से मेरी आँसू है रवाँ
जलता है जिगर उठता है धुआँ
आँखों से मेरी आँसू है रवाँ
मरने से हो जाये दफ़ा जो
मरने से हो जाये दफ़ा
ऐसी ये मेरी मुश्किल है कहाँ
दो दिन के लिये महमान यहाँ
मालूम नहीं मंज़िल है कहाँ
दो दिन के लिये

Wissenswertes über das Lied Do Din Ke Liye Mehman Yahan von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Do Din Ke Liye Mehman Yahan” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Do Din Ke Liye Mehman Yahan” von Lata Mangeshkar wurde von SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan komponiert.

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