Ganga Ki Lahren

CHITRAGUPTA, MAJROOH SULTANPURI

आ आ आ, आ आ आ आ

हो हो, हो हो
मचलती हुई, हवा मे छ्म छ्म
हमारे सग सग चले गंगा की लहरे
मचलती हुई, हवा मे छ्म छ्म
हमारे संग संग चले गंगा की लहरे
ओ, ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चले गंगा की लहरे
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चले गंगा की लहरे

हरियाली सी, छाँ जाती हैं
छाँव मे इन के आँचल की
हरियाली सी, छाँ जाती हैं
छाँव मे इन के आँचल की
सर को झुका के, नाम लो इन का
ये तो हैं शक्ति नीरबल की
हिमालय ने भी चूमे हैं इनके क़दम
मचलती हुई, हवा मे छ्म छ्म
हमारे सग सग चले गंगा की लहरे

ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चले गंगा की लहरे

सुख मे दुबा, तन मन उस का
आया जो इनके आँगन मे
सुख मे दुबा, तन मन उस का
आया जो इनके आँगन मे

प्यार का पहला, दर्पण देखा
दुनिया ने इनके दर्शन मे
के यूँ ही नहीं खाते हम इनकी क़सम
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे सग सग चले गंगा की लहरे
मचलती हुई, हवा मे छ्म छ्म
हमारे सग सग चले गंगा की लहरे

साथ दिया हैं, इन लहरों ने
जब सब ने मुँह फेर लिया
साथ दिया हैं, इन लहरों ने
जब सब ने मुँह फेर लिया

और कभी जब, गम की जलती
धूप ने हम को घेर लिया
तो इनके ही क़दमों मे झुक गये हम

मचलती हुई, हवा मे छ्म छ्म
हमारे सग सग चले गंगा की लहरे

ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे सग सग चले गंगा की लहरे

Wissenswertes über das Lied Ganga Ki Lahren von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Ganga Ki Lahren” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Ganga Ki Lahren” von Lata Mangeshkar wurde von CHITRAGUPTA, MAJROOH SULTANPURI komponiert.

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