Ghadi Se Kaho Zaraa

RAAM LAXMAN, RAVINDRA RAWAL, TILAK RAJ THAPAR

घड़ी से कहो ज़रा थम के चले
चाँद से कहो चले आहिस्ता
रात से कहो यहीं रुक जाए
रात से कहो यहीं रुक जाए
कट जाए ना कहीं ये रस्ता

घड़ी से कहो ज़रा थम के चले
चाँद से कहो चले आहिस्ता
रात से कहो यही रुक जाए
रात से कहो यही रुक जाए
कट जाए ना कहीं ये रस्ता
घड़ी से कहो ज़रा थम के चले (घड़ी से कहो ज़रा थम के चले)

होंश की हद से निकल कर हम
डूब ही जाए मस्ती मे
ऐसे भी क्या रखा है
एस दो दिन की हस्ती मे

हा होंश की हद से निकल कर हम (हे हे)
डूब ही जाए मस्ती मे (हो हो)
ऐसे भी क्या रखा है
एस दो दिन की हस्ती मे

घड़ी से कहो ज़रा थम के चले (चले)
चाँद से कहो चले आहिस्ता (आहिस्ता)
रात से कहो यही रुक जाए
रात से कहो यही रुक जाए
कट जाए ना कहीं ये रस्ता
घड़ी से कहो ज़रा थम के चले (घड़ी से कहो ज़रा थम के चले)

जिस के लिए बेचैन थे हम (हे हे)
आए जमाने राहत के (हो हो)
उम्र से लंबे हो जाए
काश ये लम्हे चाहत के

जिस के लिए बेचैन थे हम
आए जमाने राहत के
उम्र से लंबे हो जाए
काश ये लम्हे चाहत के

घड़ी से कहो ज़रा थम के चले (चले)
चाँद से कहो चले आहिस्ता (आहिस्ता)
रात से कहो यही रुक जाए
रात से कहो यही रुक जाए
कट जाए ना कहीं ये रस्ता

घड़ी से कहो ज़रा थम के चले (घड़ी से कहो ज़रा थम के चले)
चाँद से कहो चले आहिस्ता (चाँद से कहो चले आहिस्ता)
रात से कहो यही रुक जाए (रात से कहो यही रुक जाए)
रात से कहो यही रुक जाए (रात से कहो यही रुक जाए)
कट जाए ना कहीं ये रस्ता (कट जाए ना कहीं ये रस्ता)
घड़ी से कहो ज़रा थम के चले (घड़ी से कहो ज़रा थम के चले)

Wissenswertes über das Lied Ghadi Se Kaho Zaraa von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Ghadi Se Kaho Zaraa” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Ghadi Se Kaho Zaraa” von Lata Mangeshkar wurde von RAAM LAXMAN, RAVINDRA RAWAL, TILAK RAJ THAPAR komponiert.

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