Hui Ye Ham Se Naadaani
हुई ये हम से नादानी तेरी महफिल में आ बैठे
हुई ये हम से नादानी तेरी महफिल में आ बैठे
ज़मीन की ख़ाक होकर आसमान से दिल लगा बैठे
तेरी महफिल में आ बैठे
हुआ खून-ए-तमन्ना इसका शिकवा क्या करे तुमसे
हुआ खून-ए-तमन्ना इसका शिकवा क्या करे तुमसे
हो शिकवा क्या करे तुमसे
न कुछ सोचा न कुछ समझा जिगर पर तीर खा बैठे
तेरी महफिल में आ बैठे
खबर क्या थी गुलिस्तान-ए-मुहब्बत में भी खतरे हैं
खबर क्या थी गुलिस्तान-ए-मुहब्बत में भी खतरे हैं
मुहब्बत में भी खतरे हैं
जहां गिरती है बिजली हम उसी डाली पे जा बैठे
तेरी महफिल में आ बैठे
ना क्यो अंजाम-ए-उल्फत देख कर आंसू निकल आए
हाय आंसू निकल आए
जहां को लुटने वाले खुद अपना घर लुटा बैठे
हुई ये हम से नादानी तेरी महफिल में आ बैठे
ज़मीन की ख़ाक होकर आसमान से दिल लगा बैठे
तेरी महफिल में आ बैठे