Jal Bin Machhli

Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri

मन की प्यास मेरे मन से न निकली
मन की प्यास मेरे मन से न निकली
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
मन की प्यास मेरे मन से न निकली
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
हो ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली

पायल आहें भरे
घुँघरू रोये संग संग मेरे
पायल आहें भरे
घुँघरू रोये संग संग मेरे
फिर के पग बेक़रार
बेबस देखो कजरा भरे
खाली गागर सिर पे साजे
प्यासी जाऊ किसके आगे
सबके नयन बिन बरखा के बदले
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
हो ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली

ओ ओ ओ ओ ओ

हूँ मै ऐसी पवन बाँधा जिसको संसार ने
हूँ मै ऐसी पवन बाँधा जिसको संसार ने
ऐसी झनकार हूँ घेरा जिसको दिवार ने
सोचा था छू लू गगन में
पड़ गए बंधन सारे तन में
भई बेजान मै निरत बिन बिजली
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
मन की प्यास मेरे मन से न निकली
ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
हो ऐसे तड़पूँ के जैसे जल बिन मछली
ऐसे तड़पूँ के जैसे
हो ऐसे तड़पूँ के जैसे

Wissenswertes über das Lied Jal Bin Machhli von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Jal Bin Machhli” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Jal Bin Machhli” von Lata Mangeshkar wurde von Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri komponiert.

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