Jalega Jahan Sanam Chup Rahiye

Majrooh Sultanpuri

जलेगा जहाँ
सनम चुप रहिए
दिया तुम्हें दिल
किसी से मत कहिए
ऐसे में ज़माने
को बताना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ
सनम चुप रहिए
दिया तुम्हें दिल
किसी से मत कहिए
ऐसे में ज़माने
को बताना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ
सनम चुप रहिए

तेरी जो नज़र मिल मिल के रुके
मातहे पे घटा की ज़ुलफ झुके
तेरी जो नज़र
तेरी जो नज़र मिल मिल के रुके
मातहे पे घटा की ज़ुलफ झुके
बिजली दिलों पे हाय गिरे ना कैसे
ज़ूल्फेन हटा के
मुस्काना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ सनम चुप रहिए
दिया तुम्हें दिल किसी से मत कहिए
ऐसे में ज़माने
को बताना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ सनम चुप रहिए

जितनी लगान उलफत की बढ़े
मुखड़े पे रंगत और चढ़हे
जितनी लगान
जितनी लगान उलफत की बढ़े
मुखड़े पे रंगत और चढ़हे
मुख पे रुमाल
ज़रा घुमा ना ऐसे
शोले को हवा से
भड़काना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ सनम चुप रहिए
दिया तुम्हे दिल
किसी से मत कहिए
ऐसे में ज़माने
को बताना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ
सनम चुप रहिए

तुझ पे जले क्यूँ सारी महफ़िल
जलने को है जब तक मेरा दिल
तुझ पे जले
तुझ पे जले क्यूँ सारी महफ़िल
जलने को है जब तक मेरा दिल
शमा का दीवाना
परवाना हो जैसे
हम हैं तो कोई
परवाना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ सनम चुप रहिए
दिया तुम्हें दिल किसी से मत कहिए
ऐसे में ज़माने
को बताना नहीं चाहिए
जलेगा जहाँ सनम चुप रहिए

Wissenswertes über das Lied Jalega Jahan Sanam Chup Rahiye von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Jalega Jahan Sanam Chup Rahiye” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Jalega Jahan Sanam Chup Rahiye” von Lata Mangeshkar wurde von Majrooh Sultanpuri komponiert.

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