Jhuk Jhuk Shola Khaye Re Badariya

pradeep, Vasant Desai

आह आ आ आ आ आह आ आ आ आ

झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला
झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला

हो ओ ओ ओ
झुक झुक झोला खाए रे बदरिया झुक झुक झोला खाए
सावन की रुत आई रे मेरा धीरज छूटो जाए
हाए हाए धीरज छूटो जाए

झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला
झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला

हो लो रे लो चलने लगे है
पवन के चंचल झोके

हो चंचल झोके

हो मेरे मन विच हाए मेरे मन विच
हो मेरे मन विच धक धक होये के जियरा चौके

हो जियरा चौके

हो कितना अच्छा हो सके जो ऐसे मे कोई आ जाए
सावन की रुत आई रे मेरा धीरज छूटो जाए
हाए हाए धीरज छूटो जाए

झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला
झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला

हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)

हो ओ ओ ओ

देखो रे दहको कौन दूर से गये रे

हा आ आ आ

देखो रे देखो कौन आज ललचाए रे

हा आ आ आ

कहे नज़र मेरी टकराए क्यू मेरा मनवा उड़ उड़ जाए
कुछ भी नही समझ मे आए रे

हा आ आ आ

ओ आजा रे आजा ओ परदेशी आजा
आजा रे आजा ओ परदेशी क्यू मुझको तरसाए
सावन की रुत आई रे मेरा धीरज छूटो जाए
हाए हाए धीरज छूटो जाए

झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला
झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला

हो झुक झुक झोला खाए रे बदरिया
झुक झुक झोला खाए
सावन की रुत आई रे मेरा धीरज छूटो जाए
हाए हाए धीरज छूटो जाए

झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला
झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला

हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)
हा आ आ आ (झुक झुक झोला खाए झुक झुक झोला)

Wissenswertes über das Lied Jhuk Jhuk Shola Khaye Re Badariya von Lata Mangeshkar

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Das Lied “Jhuk Jhuk Shola Khaye Re Badariya” von Lata Mangeshkar wurde von pradeep, Vasant Desai komponiert.

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