Khai Hai Re Ham Ne Qasam

Majrooh Sultanpuri, S D Burman

खाई है रे हमने कसम संग रहने की
आएगा रे उड़ के मेरा हंस परदेशी
खाई है रे हमने कसम संग रहने की
आएगा रे उड़ के मेरा हंस परदेशी

पहला मिलन मोसे नहीं रे सजन का
रहेगा सदा मिलना धरती गगन का
पहला मिलन मोसे नहीं रे सजन का
रहेगा सदा मिलना धरती गगन का
युग से वो है मेरा
युग से वो है मेरा मैं उसकी रे

खाई है रे हमने क़सम सैग रहने की
आएगा रे उड़ के मेरा हंस परदेशी

ऐसे तो नहीं उसके रंग मे ढली मैं
पीया अंग लग लग के भई साँवली मैं
ऐसे तो नहीं उसके रंग मे ढली मैं
पीया अंग लग लग के भई साँवली मैं
मेरे तन पे छाँव है
मेरे तन पे छाँव है उसी की रे

खाई है रे हमने क़सम सैग रहने की
आएगा रे उड़ के मेरा हंस परदेशी
हंस परदेशी ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्म ह्म्‍म्म्म
मेरा हंस परदेशी

Wissenswertes über das Lied Khai Hai Re Ham Ne Qasam von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Khai Hai Re Ham Ne Qasam” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Khai Hai Re Ham Ne Qasam” von Lata Mangeshkar wurde von Majrooh Sultanpuri, S D Burman komponiert.

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