Kisi Ke Dil Men Rahna Tha

Naushad, Shakeel Badayuni

हुवे मजबूर हम और
दिल मोहब्बत करके पछताया
ख़ुशी को लूटकर मेरी
बताओ तुमने क्या पाया (आ आ आ )
किसी के दिल में रहना था
किसी के दिल में रहना था
तो मेरे दिल में क्यों आए
बसाई थी कोई महफ़िल
बसाई थी कोई महफ़िल
तो इस महफ़िल में क्यों आए
किसी के दिल में रहना था

मेरा दिल ले के मेरे
प्यार को ठुकरा दिया तुमने
सहारा देके आँखे
फेर ली ये क्या किया तुमने (ए ए )
किसी के दिल में रहना था
किसी के दिल में रहना था
तो मेरे दिल में क्यों आए
बसाई थी कोई महफ़िल
बसाई थी कोई महफ़िल
तो इस महफ़िल में क्यों आए
किसी के दिल में रहना था

खबर क्या थी के
अरमानों पे तुम बिजली गिरा दोगे
मेरी हंसती हुई आँखों
को रोना भी सिखा दोगे
किसी के दिल में रहना था
किसी के दिल में रहना था
तो मेरे दिल में क्यों आए
बसाई थी कोई महफ़िल
बसाई थी कोई महफ़िल
तो इस महफ़िल में क्यों आए
किसी के दिल में रहना था

तुम्हारे गीत मैं गाती थी
हरदम हो के दीवानी
मेरे दिल की मगर आवाज़
तुमने ना पहचानी

किसी के दिल में रहना था
किसी के दिल में रहना था
तो मेरे दिल में क्यों आए
बसाई थी कोई महफ़िल
बसाई थी कोई महफ़िल
तो इस महफ़िल में क्यों आए
किसी के दिल में रहना था

Wissenswertes über das Lied Kisi Ke Dil Men Rahna Tha von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Kisi Ke Dil Men Rahna Tha” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Kisi Ke Dil Men Rahna Tha” von Lata Mangeshkar wurde von Naushad, Shakeel Badayuni komponiert.

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