Kya Kya Na Log Chal Base
क्या क्या ना लोग चल बसे
क्या क्या ना लोग चल बसे
शौक़-ए-जमाल-ए-यार में
हमसे हज़ारों मिट गये
हमसे हज़ारों मिट गये
हालत-ए-इंतेज़ार में
पुउरी तरह खिले ना फ़ुउल
रह गयी दिल में हसरतें
रह गयी दिल में हसरतें
बाग ही सारा जल गया
बाग ही सारा जल गया
आग लगी बहार में
क्या क्या ना लोग चल बसे
शौक़-ए-जमाल-ए-यार में
फीकी पड़ी है चाँदनी
तारे भी झिलमिलाते हैं
तारे भी झिलमिलाते हैं
सब हैं नज़र में बेक़रार
सब हैं नज़र में बेक़रार
दिल जो नहीं क़रार में
क्या क्या ना लोग चल बसे
शौक़-ए-जमाल-ए-यार में
मिट भी गये तो क्या हुआ
मौत है एक ज़िंदगी
मौत है एक ज़िंदगी
एक नाम और बढ़ गया
एक नाम और बढ़ गया
दुनिया की यादगार में
क्या क्या ना लोग चल बसे
शौक़-ए-जमाल-ए-यार में