Lo Sahib Phir Bhool Gayi Mein

ANAND BAKSHI, RAHUL DEV BURMAN

यादो के चाँद फूल
नज़र में खिले तोह है
पहले भी हमसे आप
कहीं पर मिले तोह है
लो साहिब फिर भूल गयी मैं
हो लो साहिब फिर भूल गयी मैं
याद मुझे कुछ आया था
आपको जाने मैंने अपना
कोनसा नाम बताया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं

खुल गया घूँघट उठ गया पर्दा
मुश्किल अब दीदार नहीं
खुल गया घूँघट उठ गया पर्दा
मुश्किल अब दीदार नहीं
अब देखो अब बीच में
अपने कोई भी दिवार नहीं
मेरा असली रूप यही है
हो मेरा असली रूप यही है
वो तो मेरा साया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं
याद मुझे कुछ आया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं

कब तक जाने साथ हमारे
छोटी सी यह रात चले
कब तक जाने साथ हमारे
छोटी सी यह रात चले
पूरी बात कहे दिल की तोह
बरसो तक ये बात चले
एक नाजुक सा शीशा था जो
एक नाजुक सा शीशा था जो
पत्थर से टकराया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं
याद मुझे कुछ आया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं

अल्लाह अल्लाह तौबा तौबा
ये जज़्बात हाय हाय
अल्लाह अल्लाह तौबा तौबा
ये जज़्बात हाय हाय
मन मेरी महफ़िल में
तुम अपनी मर्ज़ी से आये
ऐसा लगता है जैसे के
हाय ऐसा लगता है जैसे के
मैंने तुम्हे बुलाया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं
याद मुझे कुछ आया था
आपको जाने मैंने अपना
कोनसा नाम बताया था
लो साहिब फिर भूल गयी मैं

Wissenswertes über das Lied Lo Sahib Phir Bhool Gayi Mein von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Lo Sahib Phir Bhool Gayi Mein” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Lo Sahib Phir Bhool Gayi Mein” von Lata Mangeshkar wurde von ANAND BAKSHI, RAHUL DEV BURMAN komponiert.

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