Mashook Apne Shabab Mein

ANANDSHI BAKSHI, R D Burman

माशूक अपने शबाब मे
करते है परदा हिजाब मे
कैसा ज़माना आया देखो
के देखो आशिक खड़े है नकाब मे
हो माशूक अपने शबाब मे
करते है परदा हिजाब मे
कैसा ज़माना आया देखो
के देखो आशिक खड़े है नकाब मे

देखो ज़रा शर्मीले बलम को
आ आ आ देखो ज़रा शर्मीले बलम को
यू देखता है मूवा घूँघट से हमको
जी चाहता है हम इस शरम को
हो जी चाहता है हम इस शरम को
पी ले मिला कर शराब मे
पी ले मिला कर शराब मे
कैसा ज़माना आया देखो
के देखो आशिक खड़े है नकाब मे

क्या हो गया इनको ना जाने ना जाने
हाए क्या हो गया है इनको ना जाने
तस्वीरो जैसे चुप है दीवाने
हमने दिए है कितने ही ताने
हा हमने दिए है कितने ही ताने
कुछ तो कहो तुम जवाब मे
जी हा कुछ तो कहो तुम जवाब मे
कैसा ज़माना आया देखो
के देखो आशिक खड़े है नकाब मे

आ आ आ
अब काम अपना ये कर रहे है
नाज़ुक हसीनो से डर रहे है
मारे शरम के ये मर रहे है
सोचा ना था ये ख्वाब मे
सोचा ना था ये ख्वाब मे
कैसा ज़माना आया देखो
के देखो आशिक खड़े है नकाब मे
हो माशूक अपने शबाब मे
करते है परदा हिजाब मे
कैसा ज़माना आया देखो
के देखो आशिक खड़े है नकाब मे

Wissenswertes über das Lied Mashook Apne Shabab Mein von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Mashook Apne Shabab Mein” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Mashook Apne Shabab Mein” von Lata Mangeshkar wurde von ANANDSHI BAKSHI, R D Burman komponiert.

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