Mehboob Ki Mehndi Hathon Me [Revival]
तारों की बारातों में
भीगी भीगी बरसातों में
सोई सोई जागी जागी खोयी खोयी
चांदनी रातों में रातों में
रातों में हो रातों में
रातों में हो रातों में
फिर नींद कहाँ आती है
फिर नींद कहाँ आती है
जो लग जाती है महबूब की (जो लग जाती है महबूब की)
मेहंदी हाथों में (मेहंदी हाथों में)
ओ ओ ओ रातों में रातों में (ओ ओ ओ रातों में रातों में)
फिर नींद कहाँ आती है
जो लग जाती है महबूब की
मेहंदी हाथों में
हो रातों में
जिनमें खिली हम
बन के कलियाँ
यह बाबुल की गालिया
यह बाबुल की गालिया
छोडके इनको भुलेगा
दिल कैसे यह रंग रलिया
यह गालिया जो याद आती है
बरस जाती है यह
आँखें बरसातों में (आँखें बरसातों में)
ओ ओ ओ ओ रातों में
ओ ओ ओ ओ हो हो हो ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ हो हो हो
तुमको मुबारक दिन यह
सुहाना हमको भूल न जाना
हमको भूल न जाना
हो सुन शादी के बाद
सहेली दिल का हाल सुनाना
बतलाना कटी कैसे
रातें हुयी हाय बातें
क्या पहली (क्या पहली)
मुलाकातों में (मुलाकातों में)
ओ रातों में
सारे रिश्ते सच्चे
झुठे इक न इक दिन टूटे
पर इन् हाथों से मेहंदी
का रंग कभी न छूटे
क्या बात है अल्लाह दुहायी
नजर भर आयी क्यों
तेरी बातों बातों में (तेरी बातों बातों में)
ओ ओ ओ ओ रातों में फिर
नींद कहाँ आती है
जो लग जाती है
महबूब की
मेहंदी हाथों में
हो रातों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों में
हो ओ ओ रातों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों में
हो ओ ओ रातों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों में