Mehfil Main Chupane Pade
हम्म महफ़िल में छुपाने पड़े जज़्बात किसी से
हो कर भी ना हो पाई मुलाक़ात किसी से
दिन-रात कसक रहती है, कुछ रोज से दिल में
ले बैठे है हम दर्द की सौग़ात किसी से
कुछ उनको तक़्लुफ़ सा है, कुछ हमको हया सी
ऐसे में जो हो भी, तो हो क्या बात किसी से
वो रात जो भर देती हैं दामन में सितारे
माँगी है मेरे दिल ने वो ही रात किसी से