Nai Manzil Nai Rahen [Female]

KUMAR HEMANT, S H Bihari

नयी मंज़िल नयी राहें नया है मेहर्बा अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहा ये कारवां अपना

बाहर आई है गुलशन मे खिली है हर तरफ़ कलिया
बाहर आई है गुलशन मे खिली है हर तरफ़ कलिया
हमे क्या ज़रूरत है चमन से बागबाँ अपना
ननयी मंज़िल नयी राहें नया है मेहर्बा अपना
ना जाने जाके ठहरेगा ये कारवां अपना

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

लगी महेंदी बनी दुल्हन बजी शहनाईया लेकिन
लगी महेंदी बनी दुल्हन बजी शहनाईया लेकिन
ये मेरी बदनसीबी है के कोई नई हो अपना
नयी मंज़िल नयी राहें नया है मेहर्बा अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहा ये कारवां अपना

Wissenswertes über das Lied Nai Manzil Nai Rahen [Female] von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Nai Manzil Nai Rahen [Female]” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Nai Manzil Nai Rahen [Female]” von Lata Mangeshkar wurde von KUMAR HEMANT, S H Bihari komponiert.

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