Nai Manzil Nai Rahen

KUMAR HEMANT, S H Bihari

नई मंज़िल नई राहें
नया है मेहरबा अपना
न जाने जाके ठहरेगा
कहाँ यह कारवां अपना

न चमकेगी जहाँ बिजली
न आयेगा जहाँ तूफ़ां
बनाएंगे उसी डाली पे
जाके आशियां अपना

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

भरोसा है मुक़द्दर पर
तुम्हारा भी सहारा है
कहीं दुश्मन न बन जाए
यह ज़ालिम आस्मां अपना
नई मंज़िल नई राहें(ह्म ह्म ह्म)
नया है मेहरबा अपना(ह्म ह्म ह्म)
न जाने जाके ठहरेगा(ह्म ह्म ह्म)
कहाँ यह कारवां अपना(ह्म ह्म ह्म)

दिखाएंगे हमें यह चाँद तारे
राह मंज़िल की

दिखाएंगे हमें यह चाँद तारे(दिखाएंगे हमें यह चाँद तारे)
राह मंज़िल की(राह मंज़िल की)
बनते हो अगर दुश्मन तो(बनते हो अगर दुश्मन तो)
हो सारा जहाँ अपना(हो सारा जहाँ अपना)
नई मंज़िल नई राहें(नई मंज़िल नई राहें)
नया है मेहरबा अपना(नया है मेहरबा अपना)
न जाने जाके ठहरेगा(न जाने जाके ठहरेगा)
कहाँ यह कारवां अपना(कहाँ यह कारवां अपना)
ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म

Wissenswertes über das Lied Nai Manzil Nai Rahen von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Nai Manzil Nai Rahen” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Nai Manzil Nai Rahen” von Lata Mangeshkar wurde von KUMAR HEMANT, S H Bihari komponiert.

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