Roz Sham Aati Hai Magar Aesi [Mix]
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी
डाली में ये किसका हाथ करे इशारे बुलाए मुझे
झूमती चचल हवा छूके तन गुदगुदाए मुझे
हौले हौले धीरे धीरे कोई गीत मुझको सुनाए
प्रीत मन में जगाई
खुली आँख सपने दिखाए
दिखाए दिखाए दिखाए
खुली आँख सपने दिखाए
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी न थी (ला ला ला )