Ruk Ja Zara Kidhar Ko Chala

Laxmikant Pyarelal, Sahir Ludhianvi

रुक जा ज़रा हां
किधर को चला हां
रुक जा ज़रा किधर को चला
मैं सदके तेरे पे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे हे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे
रुक जा ज़रा हां
किधर को चला हां
रुक जा ज़रा किधर को चला
मैं सदके तेरे पे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे हे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे

रुक जा ओ दीवाने फिर पछतायेगा
ऐसी चाहने वाली कहीं ना पायेगा
रुक जा ओ दीवाने फिर पछतायेगा
ऐसी चाहने वाली कहीं ना पायेगा
ठीक नहीं तरसाना छोड़ भी दे तडपाना
कर ले यहीं ठिकाना मत शरमा दुनिया से
बाबू रे बाबू रे बाबू रे हे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे

बाट चले तू ऐसे जैसे मोर चले
तेरे रूप के आगे कोई ना ज़ोर चले
बाट चले तू ऐसे जैसे मोर चले
तेरे रूप के आगे कोई ना ज़ोर चले
हाय ये तेरी जवानी अलबेली मस्तानी
हो गई मैं दिवानी तुझसे आँख मिला के
बाबू रे बाबू रे बाबू रे हे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे

लूट के दिल को मेरे क्यूँ अंधेर करे
यही है रुत मिलने की काहे देर करे
लूट के दिल को मेरे क्यूँ अंधेर करे
यही है रुत मिलने की काहे देर करे
सुन ले मेरी दुहाई कर ले आज सगाई
थाम ले नरम कलाई गोरा हाथ बढ़ा के
बाबू रे बाबू रे बाबू रे हे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे
रुक जा ज़रा हां
किधर को चला हां
रुक जा ज़रा किधर को चला
मैं सदके तेरे पे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे
बाबू रे बाबू रे बाबू रे

Wissenswertes über das Lied Ruk Ja Zara Kidhar Ko Chala von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Ruk Ja Zara Kidhar Ko Chala” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Ruk Ja Zara Kidhar Ko Chala” von Lata Mangeshkar wurde von Laxmikant Pyarelal, Sahir Ludhianvi komponiert.

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