Rula Ke Gaya Sapna Mera

S D BURMAN

अभी तो सुनय 1986 की साल से लिया गया
एक और लाजवाब गीत , यह ज़रा दुख भरा गाना हे
मगर क्या करे भाई हमारे तलत महबूब भाई खुद अपने गीत मे कहगए हे ना की
सबसे मधुर गीत हम दर्द के सुर मे गाते हे
रुला के गया सपना मेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा

वही है ग़म ए दिल, वही है चंदा, तारे
हाय, वही हम बेसहारे
वही है ग़म ए दिल, वही है चंदा, तारे
हाय, वही हम बेसहारे
आधी रात वही है, और हर बात वही है
फिर भी न आया लुटेरा,
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा,रुला के गया सपना मेरा

आ आ आ आ

कैसी ये ज़िंदगी, कि साँसों से हम डूबे
कि दिल डूबा हम डूबे
कैसी ये ज़िंदगी, कि साँसों से हम डूबे
कि दिल डूबा हम डूबे
एक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर ये ग़म का अन्धेरा,
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
परवीन दादा की धुन मे डूबा हुआ ये उस सुर का एक ही गीत था
जिसने शैलेंद्रा ने लिखा था
बाकी सारे गीत मजरु सुल्तानपुरी के थी
और साहब उस फिल्म मे जुगल वियर मे
क्या अंदाज़ जवाब डाइरेक्षन थी वजा आए आदत की

Wissenswertes über das Lied Rula Ke Gaya Sapna Mera von Lata Mangeshkar

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Das Lied “Rula Ke Gaya Sapna Mera” von Lata Mangeshkar wurde von S D BURMAN komponiert.

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