Seeli Hawa Chu Gayi

GULZAR, R D BURMAN

सीलि हवा च्छू गई
सिला बदन छिल गया
सीलि हवा च्छू गई
सिला बदन छिल गया
गीली नदी के परे
गीला सा चाँद खिल गया
सीलि हवा च्छू गई
सिला बदन छिल गया

तुमसे मिली जो ज़िंदगी
हमने अभी बोई नही
तुमसे मिली जो ज़िंदगी
हमने अभी बोई नही
तेरे सिवा कोई ना था
तेरे सिवा कोई नही
सीलि हवा च्छू गई
सिला बदन छिल गया

ओ आ

जाने कहा कैसे शहर
ले के चला ये दिल मुझे
जाने कहा कैसे शहर
ले के चला ये दिल मुझे
तेरे बगैर दिन ना जला
तेरे बगैर शब ना बुझे
सीलि हवा च्छू गई
सिला बदन छिल गया

जीतने भी तय करते गये
बढ़ते गये ये फ़ासले
जीतने भी तय करते गये
बढ़ते गये ये फ़ासले
मिलो से दिन छोड़ आए
सालो से रात ले के चले
सीलि हवा च्छू गई
सिला बदन छिल गया
गीली नदी के परे
गीला सा चाँद खिल गया
ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला

Wissenswertes über das Lied Seeli Hawa Chu Gayi von Lata Mangeshkar

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Das Lied “Seeli Hawa Chu Gayi” von Lata Mangeshkar wurde von GULZAR, R D BURMAN komponiert.

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