Ulfut Mein Zamane Ki

Naqsh Lyallpuri, Sapan Jagmohan

उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

दुनिया से बहुत आगे, जिस राह पे हम होंगे
ये सोच लो पहले से, हर मोड़ पे ग़म होंगे
है ख़ौफ़ ग़मों से तो, रुक जाओ, ठहर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

मैं टूटी हुई कश्ती, ख़ुद पार लगा लूँगी
तूफाँ की मौजों को, पतवार बना लूँगी
मझधार का डर हो तो, साहिल पे ठहर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

दिल और कहीं दे कर, तुम चाह बदल डालो
बेहतर तो यही होगा, ये राह बदल डालो
दो चार क़दम चल कर, मुमकिन है बहक जाओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

Wissenswertes über das Lied Ulfut Mein Zamane Ki von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Ulfut Mein Zamane Ki” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Ulfut Mein Zamane Ki” von Lata Mangeshkar wurde von Naqsh Lyallpuri, Sapan Jagmohan komponiert.

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