Woh Raat Din Woh Sham Ki

D N Madhok, Sajjad Hussain

वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
जा तेरे घर मे छ्चोड़ दी
प्यार की सब निशानियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ

साबरा ओ क़रार च्चीं गया
घर था सो वो भी लूट गया
साबरा ओ क़रार च्चीं गया
घर था सो वो भी लूट गया
याद रहेगी उमरा भर
आप की महरबानियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
जा तेरे घर मे छ्चोड़ दी
प्यार की सब निशानियाँ

आए भी और चले गये
दिन मेरे बहार के
आए भी और चले गये
दिन मेरे बहार के
अब है फ़िज़ा की गोद मे
रोटी हुई जवाणियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
जा तेरे घर मे छ्चोड़ दी
प्यार की सब निशानियाँ

Wissenswertes über das Lied Woh Raat Din Woh Sham Ki von Lata Mangeshkar

Wer hat das Lied “Woh Raat Din Woh Sham Ki” von Lata Mangeshkar komponiert?
Das Lied “Woh Raat Din Woh Sham Ki” von Lata Mangeshkar wurde von D N Madhok, Sajjad Hussain komponiert.

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