Aaja Ki Intezar Mein [Commentry]

SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan

लीजिये बहेनो और भाइयो पेश है
कुछ और गीतों की छलकिया
ये वो गीत है जो लोक प्रिय तो हुए
मगर १९५६ की सलाना संगीत श्रेणी
तक न पोहोच सके

आ जा के इन्तज़ार में
जाने को है बहार भी
तेरे बगैर ज़िन्दगी
तेरे बगैर ज़िन्दगी
दर्द बन के रह गई
आ जा के इन्तज़ार में
जाने को है बहार भी

अरमान लिये बैठे हैं हम
सीने में है तेरा ही ग़म
अरमान लिये बैठे हैं हम
सीने में है तेरा ही ग़म
तेरे दिल से प्यार की
वो तड़प किधर गई
आ जा के इन्तज़ार मे
जाने को है बहार भी
तेरे बगैर ज़िन्दगी
दर्द बन के रह गई
आ जा के इन्तज़ार में
जाने को है बहार

Wissenswertes über das Lied Aaja Ki Intezar Mein [Commentry] von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Aaja Ki Intezar Mein [Commentry]” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Aaja Ki Intezar Mein [Commentry]” von Mohammed Rafi wurde von SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan komponiert.

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