Akela Hoon Main

LAXMIKANT PYARELAL, RAJA MEHDI ALI KHAN

अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ
अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ
किसी रोज शाम सेहर ढूंढता हूँ
अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ

यह महकी हुई रात कितनी हसीन है
यह महकी हुई रात कितनी हसीन है
मगर मेरे पहलू में कोई नहीं है
मगर मेरे पहलू में कोई नहीं है
मोहब्बत भरी इक नजर ढूंढता हूँ
अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ

मेरे दिल में आजा निगाहों में आजा
मेरे दिल में आजा निगाहों में आजा
मोहब्बत की रंगीन राहों में आजा
मोहब्बत की रंगीन राहों में आजा
तुझी को मैं ओ बेखर ढूंढता हूँ
अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ

किधर जाऊ वीरान है मेरी राहे
किधर जाऊ वीरान है मेरी राहे
किसीको न अपना सकी मेरी आहें
किसीको न अपना सकी मेरी आहें
मैं आहो में अपनी असार ढूंढता हूँ
अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ
किसी रोज शाम सेहर ढूंढता हूँ
अकेला हूँ मैं हमसफ़र ढूंढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुजर ढूंढता हूँ

Wissenswertes über das Lied Akela Hoon Main von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Akela Hoon Main” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Akela Hoon Main” von Mohammed Rafi wurde von LAXMIKANT PYARELAL, RAJA MEHDI ALI KHAN komponiert.

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