Bhor Huyi Panchhi Nikle

SHAILENDRA, Salil Chowdhury

लो भोर हुई पंछी निकले
लो भोर हुई पंछी निकले
तलाश में दाने दाने की
तलाश में दाने दाने की
इंसान भी लो घर से निकला
इंसान भी लो घर से निकला
धुन रोटी डाल कमाने की
धुन रोटी डाल कमाने की
लो भोर हुई (हो हो आ आ )

चक्कर खाती दुनिया के संग
चक्कर खाती दुनिया के संग
हम सब क्यूँ चक्कर खाते हैं
हम सब क्यूँ चक्कर खाते हैं
ठोकर खाना और ठुकराना
ठोकर खाना और ठुकराना
क्या रीत यही है ज़माने की
क्या रीत यही है ज़माने की
लो भोर हुई पंछी निकले
लो भोर हुई पंछी निकले
तलाश में दाने दाने की
तलाश में दाने दाने की
लो भोर हुई

यह दौड़ धूप रेला तहेली
यह दौड़ धूप रेला तहेली
पर कल का ठिकाना कोई नहीं
पर कल का ठिकाना कोई नहीं
आए हम दम आ
आवाज़ लगा
आए हम दम आ
आवाज़ लगा
यह बेला जगने जगाने की
यह बेला जगने जगाने की
लो भोर हुई पंछी निकले
लो भोर हुई पंछी निकले
तलाश में दाने दाने की
तलाश में दाने दाने की
लो भोर हुई

Wissenswertes über das Lied Bhor Huyi Panchhi Nikle von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Bhor Huyi Panchhi Nikle” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Bhor Huyi Panchhi Nikle” von Mohammed Rafi wurde von SHAILENDRA, Salil Chowdhury komponiert.

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