Botal Se Ik Baat Chali

GULZAR, R D BURMAN

बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है
बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है हो
तू डू डू तू तू डू डू तू तू डू तू तू
तू डू डू तू तू डू डू तू तू डू तू तू

हो बोतल से इक बात चली है
तू डू डू
काग उड़ा के रात चली है

आज की मे बहुत मीठी है
आज तो आँख मिला के पीना

चाँद की मिसरी घुल जाएगी
चाँद से होठ लगा के पीना

हो तू डू डू तू तू डू डू तू तू डू तू तू
तू डू डू तू तू डू डू तू तू डू तू तू

हो बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है

हो बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है

वादों वाली रात आई है
आज की रात इनकार ना करना

अपने दिन और रात ना पूछो
तुमसे जीना तुमपे मरना
तू डू डू तू तू डू डू तू तू डू तू तू
तू डू डू तू तू डू डू तू तू डू तू तू

हो बोतल से इक बात चली है
तू डू डू
काग उड़ा के रात चली है

बोतल से इक बात चली है
काग उड़ा के रात चली है
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला

Wissenswertes über das Lied Botal Se Ik Baat Chali von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Botal Se Ik Baat Chali” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Botal Se Ik Baat Chali” von Mohammed Rafi wurde von GULZAR, R D BURMAN komponiert.

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