Bujh Gaya Deep Gira Andheyra Jyot Kaha Se

Mahipal Singh

बुझ गया दीप
बुझ गया दीप
गिरा अँधेरा
बुझ गया दीप
गिरा अँधेरा
ज्योत कहा से लाऊ
ज्योत कहा से लाऊ
मैं नहीं आँसू ये कहते
अब ये दीप जलाऊ
अब ये दीप जलाऊ
बुझ गया दीप

धुए सी आस में थी बेचारी
रात अब पहचान हमारी
ये अंधियारी और मन भरी
जो मेरा दुःख जान न पाए
क्या उसको समझाऊ
क्या उसको समझाऊ
बुझ गया दीप

अपने को अपने में खोते
कभी कभी सच सपने होते
पर ये प्राण
पर ये प्राण कहा है सोते
सपने संजोने वाली सुख की
नींद कहा से पाऊ
बुझ गया दीप

मुझपे दया कर जायेंगे क्या
देवता कोई आएंगे क्या
आँगन दीप जलाएंगे क्या
उन गीतों को नैं में भरके
अपने अंग लागाऊ बुझ गया दीप
गिरा अँधेरा ज्योत कहा से लाऊ
ज्योत कहा से लाऊ

Wissenswertes über das Lied Bujh Gaya Deep Gira Andheyra Jyot Kaha Se von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Bujh Gaya Deep Gira Andheyra Jyot Kaha Se” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Bujh Gaya Deep Gira Andheyra Jyot Kaha Se” von Mohammed Rafi wurde von Mahipal Singh komponiert.

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