Dharm Ki Khatir Beek Gaya Raja
धरम की खातिर बिक गया राजा बिक गयी देखो रानी
ये अमर रहेगी कहानी ये अमर रहेगी कहानी
हँसते हँसते रख दी इन्होने ज्वाला मे जिंदगानी
ये अमर रहेगी कहानी ये अमर रहेगी कहानी
अपनी झोली दुख से भर ली सुख दुनिया को बाटे
सारे जग को फूल लुटाए खुद अपनाए काटें
खुद अपनाए काटें धन्या है अपना देश के
जिसमे जन्मे ऐसे प्राणी ये अमर रहेगी कहानी
ये अमर रहेगी कहानी
हँस हँस तारमति सती ने झेली दुख की ज्वाला
कठिन काल के झोके सह कर भी पति के प्रण
पति के प्रण को पाला पर जब आती याद पिया की
नैन से झरता पानी ये अमर रहेगी कहानी
ये अमर रहेगी कहानी
राज भी छोड़ा देश भी छोड़ा लेकिन सत्या ना छोड़ा
हरिशचंद्र ने दुख के पथ पर
जीवन का रथ मोड़ा जीवन का रथ मोड़ा
पत्नी बिछड़ी बेटा बिछड़ा फिर भी हार ना मानी
ये अमर रहेगी कहानी ये अमर रहेगी कहानी