Dil Toota Aur Armaan Toote
पीपल के पेड़ बावरे नैन
बैठे थे ठंडी छाव
अब जाते है दर्द लिए
लो बसे तुम्हारा गाव
दिल टुटा और अरमान लुटे दिल टुटा
दिल टुटा और अरमान लुटे
दिल टुटा और अरमान लुटे दिल टुटा
दिल टुटा और अरमान लुटे
घर छोड़ के हम है दूर चले
शीशा दिल करके चुर चले
इस बात से हो मजबूर चले
इस बात से हो मजबूर चले
कहने की नहीं कोई क्या समझे
दिल टुटा और मजबूर चले
मजबूर चले
दिल टुटा और अरमान लुटे दिल टुटा
दिल टुटा और अरमान लुटे
क्यों फ़िक्र फ़िक्र उठते है कदम
क्यों आँख हुई तेरी फिर नम
किस बात का रोना कैसा ग़म
किस बात का रोना कैसा ग़म
जो छोड़ चले वो छोड़ चले
दिल टुटा और मजबूर चले
मजबूर चले